Tuesday, May 21, 2024

एलोवेरा ( ग्वारपाठे ) की खेती का महत्व ।

ग्वारपाठा एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है । वैसे तो ग्वारपाठे की बहुत सारी प्रजातीय पाई जाती है ।  जिनका अलग-अलग महत्व है । लेकिन सबसे ज्यादा एलोवेरा बार्बेंदिसिस की खेती की जाती है ।  इसका  स्वाद कड़वा नहीं होता । एलोवेरा एक बहु वर्षीय फसल है । जिसका मतलब एक बार लगाने के बाद एलोवेरा की रुपाई या बीजाई हर बार नहीं करनी पड़ती ।  4-5 साल के लिए वही पौध चलती रहती है ।

एक एकड़ में एलोवेरा के 10000 पौधे लगाये जाते है । एलोवेरा की रुपाई रोपण पौध के द्वारा होती है । इसकी बुवाई 2 फीट की दुरी पर लाइन से करते है । ध्यान रहे की पौधे की जड़ों में किसी तरह का पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए । एलोवेरा की बुवाई बेबी प्लांट से होती है ।  3-4 साल में एलोवेरा के मुख्य पौधे के आस पास बेबी प्लांट निकल जाते है । इन्हें बेच कर भी किसान अतिरिक्त  आमदनी कर सकता है ।

ग्वारपाठे की पत्तियों की तुडाई 500 ग्राम बजन में व 24 इंच लम्बाई की होने पर कर लेनी चाहिए । पत्तिय तुडाई करने के बाद 12 घन्टे में प्रोसेस हो जानी चाहिए । किसान को चाहिए  किए पत्तियां तोड़ के खेत के स्तर पर ग्वारपाठा का गुद्दा / पल्प या जूस निकल ले । ये पत्तियां बेचने से ज्यादा  अच्छा है । इससे परिवहन में होने वाला नुकसान कम हो जायेगा । किसान पल्प को ज्यादा समय तक स्टोर कर सकता है ।

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 Aloevera plant

ग्वारपाठा के बहुत से उपयोग है । इसे विभिन्न तरीके से काम में लिया जाता है । ग्वारपाठे की सब्जी बनाई जाती है । स्थानीय ज्ञान के अनुसार जोडो के दर्द में ग्वारपाठे की सब्जी बहुत अच्छी होती है । ग्वारपाठा का जूस बनाया जाता है । ग्वारपाठा का जूस बहुत गुणकारी होता है ।  आज कल ग्वारपाठा के जूस को मुख्य घटक बना के बहत सी हेल्थ ड्रिंक भी बाजार में उपलब्ध है । एलोवेरा का जूस पाचन से सम्बधित विकार दूर करता है । एलोवेरा की जैल सोंदर्य प्रसाधन बनाने के काम में आती है । ग्वारपाठा की जैल का पाउडर बनाया जाता है । ये पाउडर भी सोंदर्य प्रसाधन में  काम में आता है ।


ग्वारपाठा के खेती पहले से उपयोगी जमीं में करने से बचे । खेती करने से पहले पत्तियों का बाज़ार भाव जरूर मालूम कर ले । खरीदने वाले का अच्छी तरह पता कर ले । परिवहन का खर्चा व तुडाई का खर्चा अपनी लागत में जरूर जोड़ लेवे । परिवहन के लिए प्लास्टिक का कैरट का प्रयोग करे । जिससे की पत्तियों को बाज़ार तक परिवहन में नुकसान कम से कम हो ।  

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